रामायण जीना सिखाती है और भागवत मृत्यु को उत्सव बनाती हैं : संत दिग्विजयराम
निंबाहेड़ा रामस्नेही सम्प्रदाय के भागवतचार्य दिग्विजय राम ने कहा कि मानस नाम ग्रंथ हैं जो हमें जीने की सीख देती हैं, जबकि भागवत मृत्यु को उत्सव स्वरूप में प्रतिपादित करती हैं। संत दिग्विजय राम संध्या वेला में चतुर्थ दिवस श्री राम कथा मंडप में सत्संग करते हुए प्रवचन दे रहे थे। उन्होंने कहा रामकथा नाम महत्व प्रदान करती हैं। इसलिए कथा प्रीत करते नाम स्मरण के साथ गुरु के सानिध्य में भक्ति का मार्ग अपनाना चाहिए। उन्होंने कहा कि कथा, गुरु और भगवत नाम एक दूसरे के पूरक हैं। तथापि हमें सरल ग्रंथ के रूप में पूरे भाव के साथ पाठ करना चाहिए। जिससे हम आनंदमय हो सके।
उन्होंने अशिक्षित चार पंडितों के माध्यम से मानस के गुड़ रस को प्रतिपादित करते हुए कहा कि मानव स्वभाव के हर सवाल का जवाब मानस की चौपाइयों में मौजूद हैं। उन्होंने कहा कि भागवत कृपा से प्रत्येक व्यक्ति सहजता से हो जाता हैं, लेकिन प्रभु की अतिकृपा होने से ही आयोध्या नगरी निरूपित कल्याणनगरी में दीदी मंदाकिनी जैसी विद्वान कथा वाचक से राम कथा श्रवण के साथ श्री राम महायज्ञ में सौभाग्य प्राप्त होता हैं। उन्होंने श्रृद्धालुओं से आह्वान किया कि श्रद्धा भक्ति और विज्ञान को जोड़कर संस्कार वान बनाए। उन्होंने कहा कि जीवन में प्रतिकूलता हो तो नाम ग्रंथ का आश्रय लेकर स्वाध्याय से हर समस्या का समाधान प्राप्त करें। उन्होंने कहा कि कलयुग में नाम की महिमा को सर्वोपरि बताते हुए संदेश दिया हैं कि कलयुग केवल नाम अधारा हैं। संत रमता राम जी के साथ संत दिग्विजयराम ने वेदपीठ पर विराजित कल्याण नगरी राजाधिराज कल्लाजी के दर्शन करते हुए कहा कि उन्ही की कृपा से मात्र 2 दशक में कल्याणनगरी ने देश के वैदिक मानचित्र पर अपनी विशिष्ट पहचान बनाई हैं। वहीं वेद विद्यालय एवं वैदिक विश्वविद्यालय के माध्यम से भावी पीढ़ी को वैदिक शिक्षा में विद्वान बनाकर इस नगर को गौरवान्वित किया जा रहा है। इनके मंच पर पहुंचने पर द्वय संतों का दीदी मंदाकिनी सहित वेदपीठ के पदाधिकारियों एवं न्यासियों वैदिक मंत्रोचार के साथ स्वागत अभिनंदन किया।
विमान दुर्घटना पर संतों ने जताई गहरी संवेदना
गत 12 जून को अहमदाबाद में हुई विमान दुर्घटना पर दीदी मंदाकिनी रामकिंकर जी संत रमता राम जी एवं संत दिग्विजय राम जी ने गहरी संवेदना व्यक्त करते हुए कहा की जीवन क्षण भंगुर हैं। यह घटना उसका जीवंत उदाहरण हैं। ऐसी स्थिति में दुर्लभ मानव देह से भागवत नाम स्मरण कर मोक्ष का मार्ग प्रशस्त करना चाहिए। इस मौके पर बड़ी संख्या में मौजूद श्रद्धालुओं ने नाम संकीर्तन करते हुए दिवंगत आत्माओं के मोक्षगामी होने और उनके परिजनों को असहनीय वज्रपात सहन करने की प्रभु से प्रार्थना की गई।
फलों एवं प्राकृतिक फूलों की झांकी में दर्शन दिए ठाकुर जी ने
महाकुंभ के पंचम दिवस कल्याणनगरी के राजाधिराज को मनभावन श्रृंगार के साथ ही फलों एवं प्राकृतिक पुष्पों की झांकी से वेदपीठ को ऐसा सुंदर सुसज्जित किया गया कि मानों समूचि प्रकृति यहां विद्यमान हो। विशेष कर फूलों से अंकित जय श्री कल्याण के साथ ही मौसमी फलों के छप्पन भोग ने भक्तों को बरबस ही आकर्षित कर दिया।
हेमाद्री स्नान ने गंगा तट की कराई अनुभूति
सप्त दिवसीय श्री राम महायज्ञ के तृतीय दिवस रविवार को लगभग 300 पुरुष यजमानों का सामूहिक दश विधि हेमाद्री स्नान जब कराया गया तो ऐसी अनुभूति हुई मानों गंगा तट पर कोई बहुत बड़ा उत्सव और यज्ञ होने वाला हो। इस दौरान आचार्यो और बटुकों के वैदिक मंत्रोच्चार के साथ यजमानों ने हेमाद्री स्नान के साथ जनेहु धारण कर 51 कुंडीय श्री राम यज्ञशाला में प्रवेश किया तो मानो महाराज दशरथ कोई बहुत बड़ा यज्ञ करा रहे हो।
300 से अधिक यजमानों ने दी आहुति
श्रीराम महायज्ञ के पंचम दिवस रविवार को प्रात: हेमान्द्री स्नान के पश्चात लगभग 300 युगल जोड़े पूरी श्रद्धा और उत्साह के साथ स्थापित देवताओं के साथ ही ठाकुर श्री कल्लाजी, ब्रह्माण्ड के विभिन्न देवी देवताओं एवं परिजनों के नाम शाकल्य एवं गो घृत से आहूतियां देकर सर्वत्र खुशहाली एवं अच्छी वर्षा की कामना की।
ठाकुर जी की संध्या महाआरती ने गंगा मैया की महाआरती की अनुभूति
महाकुंभ के दौरान प्रतिदिन ठाकुर जी की संध्या महाआरती का दृश्य सैकड़ों श्रद्धालुओं के विशेष आकर्षण का केंद्र बना हुआ हैं। वहीं विद्वान आचार्यो एवं बटुकों द्वारा समवेत स्वर में सामूहिक सहस्त्र दीप ज्योति से की जा रही महाआरती की ऐसी अनुभूति होती हैं मानो गंगा मैया की महाआरती की जा रही हो।
भजन संध्या में भजनों के माध्यम से ठाकुरजी को रिझाया
शनिवार रात्रि को सुर संगम मनीष म्यूजिकल ग्रुप ने भजनों के माध्यम से ठाकुरजी को रिझाया। भक्त और भगवान को भजन गायकों गोपाल नामदेव, भावेश कुमावत और पिंटू द्वारा भजन संध्या की शृंखला में श्रीराम कथा मंडप में मनभावन भजनों की प्रस्तुति देकर ठाकुरजी को रिझाते हुए सुधि श्रोताओं को भक्ति रस से सराबोर कर दिया। ठाकुर तेरे दर पर आया हूं मुझको तू सवारे जैसे गीतों ने कल्याणमय वातावरण बना दिया। सोमवार को वृंदावन की सुप्रसिद्ध साध्वी पूनम दीदी द्वारा भजनों की प्रस्तुति दी जाएगी।